प्रेस विज्ञप्ति
भा जा प् के वरिष्ट नेता एवं जनकपुरी विधान सभा क्षेत्र से भा जा प् के प्रत्याशी प्रो जगदीश मुखी ने आज जनक पुरी के ऐ १, ऐ १ ऐ, ऐ १ बी, सी ४ ई, सी २ सी (पॉकेट-२) एवं सी २ दी ब्लाक का सघन दौरा किया।
प्रो मुखी ने दिल्ली की कांग्रेस सरकार के ऊपर आरोप लगते हुए कहा की दिल्ली सरकार के पिछले १० वर्षों के शासनकाल में उद्योग विभाग पूर्णता निष्क्रिये साबित हुआ है और की निष्क्रियता के कारन दिल्ली के लघु उद्योगों ने पूरी तरह से दम तोड़ दिया है। दिल्ली में लघु उद्योगों की परेशानी को सुनाने वाला कोई नही है। प्रो मुखी ने कहा की पुनर्स्थापना के अंतर्गत उद्योगिक भूखंड आवंटित करने के सैंकडो मामले आज भी विभाग में लंबित पड़े हुए हैं। लघु उद्योगों की समस्याओं को निपटने के मामले में स्वयं दिल्ली सरकार के उद्योग मंत्री कुम्भ कारन की नींद सोये रहे। प्रो मुखी ने कहा की दिल्ली सरकार के पास ऐसे अनेकों मामले हैं, जिनमे उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार घरों में चल रही दुकानों एवं रिहायशी क्षेत्रों में चल रही उद्योगिक इकाईओं को स्थानांतरित किया जाना था। जिन उद्यमियों ने उद्योगिक भूखंड के लिए आंशिक राशि जमा करवाई हुई थी या जो लोग उद्योग विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेज को समे पर जमा नही करा पाए या जिन लोगों ने अपनी जमा राशि वापिस ले ली थी या लोकल कॉमर्शियल एरिया में होने के कारन उन्हें उद्योगिक भूखंड आवंटित नही किया गया, ऐसे हजारों मामले आज भी दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग के पास लंबित पड़े हैं और सरकार इनपर कोई निर्णय नही ले पायी है।
प्रो मुखी ने कहा की स्वयं उद्योग मंत्री ने २००६ में निर्णय लिया था की पुनर्स्थापना योजना के अंतर्गत दिल्ली सरकार शीघ्र ही आवंटन नीति तैयार कर रही है जिन उद्योगिक इकाईओं द्वारा १०% भुगतान करने के कारन आवंटन रद कर दिया गया है अथवा अपनी जमा राशि वापिस ले ली है, उनका आवंटन रद कर दिया गया है, ऐसे सभी मामलों पर पुनर्विचार करेगी, परन्तु आज तक उन पर कोई विचार नही किया गया।
प्रो मुखी ने का की दिल्ली सरकार ने ऐसे १८ रिहायशी क्षेत्र चिन्हित किए थे, जहाँ ५०% से अधिक उद्योगिक इकाईयां चल रही हैं, उन्हें उद्योगिक क्षेत्र घोषित किया जाना था, परन्तु दिल्ली सरकार आज तक उनपर कोई निर्णय नही ले पाई और लघु उद्यमी तलवार के साए में जी रहे हैं।
प्रो मुखी ने कहा की दिल्ली में भा जा पा सरकार आते ही तुंरत स्पष्ट उद्योगिक नीति घोषित करेगी, ताकि दिल्ली में उद्योगों को बढावा मिल सके।

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